हमारे देश की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में, सरकार, देश भर के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों के माध्यम से, 75 सप्ताह के "आज़ादी का अमृत महोत्सव" का आयोजन कर रही है। केयर-एलायंस भी ग्रामीण भारत में एक स्थायी जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए एक आउटरीच कार्यक्रम बनाया है जिसमें संस्था “आजादी का अमृत महोत्सव” के 75 वें साल को वन-संस्क्रति महोत्सव के रूप में मना रही हैं, जिसमें ग्रामपंचायत सदस्यों को पंचायत सेवा दल के माध्यम से कृषि व जलवायु की पुनर्रचना के तहत पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक वनों के वृक्षारोपण व पालतू पशुओं का उचित रख-रखाव, विकास और प्रबंधन आदि को शामिल किया जा रहा है।

पूर्व में सड़क के किनारे, रेलवे लाईन, नदी और नहर के किनारे और अन्य भूमि पर लगाए गए वृक्ष विभिन्न कारणों से गायब हो रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप, जलवायु परिवर्तन न केवल हमारे पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है बल्कि आजाद पशु-पक्षिओं की प्रजातियों का हमारे निवासों व फसलों पर खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इन प्रवृत्तियों को उलटने के लिए, केयर-अलायंस इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि पंचायत सेवा दल के माध्यम से ग्रामसभा की भागीदारी सुनिश्चित कर अभिष्ट उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है तथा आंदोलन को उत्प्रेरित करने में मदद मिल सकती है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य मुख्य रूप से पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना और एक सामाजिक आंदोलन के रूप में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में कृषक समुदाय की भागीदारी को प्रेरित करना है। इस योजना के पहले दौर के रूप में चुने गए 11 राज्य जम्मू और कश्मीर, पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ हैं। हमारे आउटरीच कार्यक्रम की कुछ झलकियां निम्नलिखित हैं

ग्रीन-पंचायत क्लब (जीपीसी)
केयर-अलायंस ने देश भर की ग्राम पंचायतों में ग्रामीण समुदाय के बीच पर्यावरण जागरूकता पैदा करने के लिए ग्रीन-पंचायत क्लब (GPC) बनाने की एक विशाल पहल की शुरुआत करने जा रही है। हमारा लगभग दो लाख से अधिक ग्राम पंचायतों से संपर्क का प्रयास हैं और ग्रामसभा सदस्यों को 2021-25 में जलवायु परिवर्तन ड्राइवरों के खिलाफ एक हरी-दिवार खड़ी करने के लिए (पेड़ लगाओ+गाय ले जाओ) कार्यक्रम के लिए ग्रामपंचायत स्तर पर जीपीसी के सदस्य के रूप में पंजीकरण कर रहे हैं। प्रत्येक सदस्य की पर्यावरण सेवाओं के प्रयास में समान पहुंच ही कार्यक्रम में आकर्षण का मुख्य केन्द्र होगी I इसलिए संस्था उपरोक्त कार्यक्रम के अंतर्गत प्रत्येक जीपीसी सदस्य को पर्यावरणविदों के सहयोग से (एक गाय+ एक पेड़) का समयबद्ध पट्टा प्रदान करेगी । इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश के प्रत्येक ग्रामसभा सदस्य को अपने दैनिक जीवन में पर्यावरणीय अच्छे कार्यों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। कृषक समुदाय के बीच व्यापक पर्यावरण जागरूकता पैदा करने के लिए ग्रीन-पंचायत क्लबों द्वारा ग्रामपंचायतों में महत्वपूर्ण पर्यावरण सेवाओं के अलावा सांस्कृतिक गतिविधियां जैसे-- पर्यावरण महोत्सव, पृथ्वी दिवस आदि का आयोजन, नृत्य, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, खेल प्रतियोगिता और पंचायत क्षेत्रों में तथा उसके आसपास वृक्षारोपण अभियान, स्वच्छता अभियान आदि का आयोजन किया जायगा है। ग्राम पंचायतों में कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन की जागरूकता को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे ग्रामीण आंचल में आय वृद्धि एवं रोग मुक्त वातावरण तैयार हो सके I

कार्यक्रम
ग्रामपंचायत की ग्रामसभा को सदस्य के रूप में शामिल करने की दृष्टि से सामाजिक वन क्षेत्रों और निवास व् फसलों पर आजाद पशु-पक्षिओं के दबावों के कारण खराब हुई ग्रामीण व्यवस्था, संरक्षण, पुनर्जनन, विकास और प्रबंधन के लिए ग्राम-सभा स्वयं ग्राम वन समिति (वीएफसी) का गठन करती है। वन समिति का गठन, संरचना, कर्तव्यों और जिम्मेदारियों, उपज के बंटवारे की व्यवस्था और अन्य तौर-तरीके प्रस्तावित हैं :-

हरित ग्रामपंचायत - “पेड़ लगाओ-गाय ले जाओ”
हम उस गति से बढ़ और चल रहे हैं जहां प्रतिदिन स्वच्छ पानी, वायु व खाने की खपत तेजी से बढ़ी है। इस तरह की आवश्यकताएं जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होती हैं इन्ही कारणों से जल स्तर लगातार चिंताजनक रूप से कम हो रहा है और वायु व जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। पानी व वायु के प्रदूषित होने के साथ ही लोग गंभीर रूप से जल-वायु जनित बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में एक चिंता पैदा करती है जहां के जल संसाधन उच्च मांग और खपत पैटर्न के कारण काफ़ी दबाव में हैं । अधिकतर, यह समस्या स्थायी जल-वायु प्रबंधन के साथ-साथ स्मार्ट कृषि अपशिष्ट उपचार के लिए स्थानीय स्तर के समाधान की मांग करती है। क्षमता के मामले में गंभीर सीमाओं के बावजूद, देश भर के किसान इस चुनौती का सामना कर रहे हैं और कृषि व्यवसाय में अपनी रुचि बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

इससे पर्यावरण जागरूकता की आवश्यकता, जो अक्सर मुख्यधारा की खेती में पिछड़ जाती है, जलवायु परिवर्तन के कारण चल रहे स्वास्थ्य और कृषि के संकट के दौरान अधिक दृढ़ता से महसूस की गई है। हरित पंचायत कार्यक्रम (जीपीपी) के तहत पर्यावरण जागरूकता को प्रभावी बनाए रखने के लिए अन्य संस्थाओं के साथ जलवायु परिवर्तन और कृषि पुनर्रचना संस्थान, अपने पंचायत नेटवर्क के समर्थन से लगातार गतिविधियों का आयोजन कर रहा है।

हम पर्यावरण के तीन बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों - कृषि-अपशिष्ट, वायु प्रदूषण और पानी की कमी, और हम इनका मुकाबला करने के तरीको के बारे में जागरूकता के लिए देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। बताए गए मुद्दे ग्रामीण लोगों के लिए प्रासंगिक हैं, और महत्वपूर्ण रूपसे से उनके जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं।

इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण समूहों को इकोसिस्टम की एक आंतरिक सर्कल की प्रजातियों जैसे नील गाय, बंदर, बैया, चिड़िया आदि के पुनर्वास, ग्रामीणों के सामाजिक-आर्थिक-कृषि संकट और पर्यावरणीय उत्थान की समस्या को हल करना है। यह समान और सतत विकास की अवधारणाओं के इर्द-गिर्द निर्मित एक अच्छी योजना है। यह न केवल सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से जरुरी है, बल्कि लागत प्रभावी भी है। योजनानुसार ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी, ग्रामपंचायत या ग्राम समुदाय की बंजर भूमि, सड़कों, रेलवे, नदियों और नहरों के किनारे की भूमि पर फल और औषधीय पेड़ उगाने पर जोर दिया गया है।

आगे इसी प्रयास में ग्रामपंचायत स्तर पर ग्रामसभा सदस्यों के लिए केयर- एलाइंस की “पेड़ लगाओ- गाय ले जाओ” परियोजना पर्यावरण की बहाली के लिए एक अत्य-आधुनिक समुदाईक डेयरी योजना है जिसमें वयस्क ग्रामसभा सदस्यों को साहिवाल, गिर सरीखी देसी गाय इस शर्त पर पट्टे पर दी जाएगीं कि गाय के लिए आवेदन करने वाला हर ग्रामसभा सदस्य एक फलदार या औषधीय पेड़ अपनी ग्रामपंचायत के क्षेत्र में लगाएगा और पांच साल तक गाय के साथ पेड़ की सेवा भी करेगा I पट्टे-अवधि के बाद पट्टाधारी ग्रामसभा सदस्य गाय का पूर्ण मालिक होगा I डेयरी फार्म की देसी गायों को ग्रामसभा सदस्य केयर-एलाइंस से पट्टे के आधार पर पांच वर्ष की अवधि के लिए लेंगे तथा ग्रामपंचायत की ही स्थानीय डेयरी यूनिट में केयर- एलाइंस द्वारा ग्रामसभा सदस्यों से मासिक किराए के आधार पर गाय ली जाएगी। उदेश्य है कि ग्रामपंचायत का हर सदस्य पशुधन के उचित रख-रखाव तथा तकनीकीकरण में आधुनिकता का माहिर बन सके I जहां तक गाय खरीदने की बात है तो दूध देने वाली देसी गाय को खरीदने के लिए सदस्यों को साथ पशु-डॉक्टरों और अन्य लोगों की विशेषज्ञ टीम जाएगी, जिनके पास हमारे मानक और विनिर्देशों के अनुसार इस लाइन में व्यापक अनुभव है, और सदस्य द्वारा ली गई गाय (अनुमानित न्यूनतम 15 लीटर दूध) की अनुमानित कीमत तकरीबन एक लाख / प्रति गाय होगी । उस स्थिति में, सदस्य को गाय का टैग कार्ड नम्बर अलाट होने के बाद अपने पट्टे की एक एडवांस किस्त ग्रामसभा के खाते में - 2500 / = रुपये गाय के आने तक जमा रखने होंगे और गाय के ग्रामपंचायत की डेयरी में आने के बाद एक पेड़ लगाना होगा तथा केअर-एलाइंस को ग्रामसभा अकाउंट में पट्टे की किस्त के रूप में जमा रुपयों का भुगतान करना होगा, और सदस्य की पसंद की गाय का पट्टा, गाय का पूरा रिकॉर्ड, बीमा और सदस्य के लिए कार्ड में टैग नंबर आवंटित किया जाएगा जो गाय की पहचान का नंबर होगा ।

नोट: डेयरी यूनिट का आंवटन ग्राम प्रधान व ग्रामसभा की पहल पर पहले आओ –पहले पाओ के आधार पर होगा

“पेड़ लगाओ- गाय ले जाओ” परियोजना की विशेषताएं-
1) ग्रामसभा मेम्बर को गाय के लिए कोई पैसा नहीं देना है
2) गाय पसंद करने सदस्य को टीम के साथ जाना होगा
3) सदस्य की आखिरी किस्त माफ़ होगी यानि पूरी 60 किस्त गाय के दूध से संस्था देगी
4) दूध की शुद्धता व सही तोल की जिम्मेदारी सदस्य की होगी
5) संयंत्र लगाने के बाद सदस्य के लिए रोजाना 1/2 कि०ग्राम रसोई गैस फ्री
6 ) गाय की देख-भाल व चारे की व्यवस्था संस्था ही करेगी
7) डेयरी में काम करनेवाले 90% स्थानीय लोग होंगे

मासिक आउट-पुट
महीनेवार बिक्री
तक़रीबन 15 लीटर दूध X 30/प्रति लीटर X 30 दिन = रु-13,500/- प्रति माह

महीनेवार खर्च
चारा खर्च = रु-7000/- प्रति माह (अनुमानित डेली फीड = रु०-233.33/- प्रति दिन)
मासिक पट्टा किस्त = रु-2500/- प्रति माह
पशु चिकित्सा एवं दवाई , चिकित्सक व वैट-ट्रेंड लेबर आदि = रु- 1750/- प्रति माह

शुद्ध लाभ = 13,500 -11250 = 2250/- रुपये प्रति माह 10 महीने के लिए या रोज़ 2.5 लीटर दूध दस महीने के लिए प्रति वर्ष |

(1) 5वें वर्ष पट्टे ख़त्म होने के बाद क्या होगा ?
5वां वर्ष पूरा होने के बाद, सदस्य को उस समय उसकी पसंद के अनुसार उसकी गाय या गाय का उस समय का बाजार मूल्य प्राप्त होगा। यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि गायों को रखना/ ना रखना सदस्य की पसंद से होगा और किराया अनुबंध स्वतः समाप्त हो जाएगा।

(2) कोई सदस्य पांच साल से पहले पट्टा छोड़ सकता है ?
हाँ, यदि कोई सदस्य, अनुबंध की तारीख से एक वर्ष के बाद किराए के समझौते से खुद को वापस लेना चाहता है और उस स्थिति में सदस्य को संगठन को तीन महीने पहले लिखित नोटिस देना होगा और तीन महीने के बाद बिना किसी लेन-देन के वह नाम वापस ले कर किराए के समझौते से खुद को अलग कर लेगा ।‍

(3) फ़ीड और अन्य खर्च की लागत कौन वहन करेगा ?
-रेंट एग्रीमेंट अवधि के दौरान सभी खर्चे संगठन द्वारा वहन किए जाएंगे न कि सदस्य द्वारा।

(4) सदस्य अपनी गाय की पहचान कैसे करेगा ?
-टैग कार्ड द्वारा:- बीमा कंपनी हर गाय के कान में टैग नंबर लगाएगी और हर सदस्य को टैग कार्ड में नंबर एलाट के साथ-साथ गाय का पूरा रिकॉर्ड I

(5) क्या गायों का होगा बीमा ?
हां, रेंट एग्रीमेंट अवधि के दौरान सभी गायों को बीमा कवर द्वारा कवर किया जाएगा।

(6) गाय की कीमत क्या होगी ?
लगभग रु. एक लाख गाय की खरीद में, गाय-बछड़े की लागत, खरीद बिंदु से डेयरी यूनिट तक परिवहन की लागत, 5 साल के लिए बीमा लागत, और अन्य सभी लागतें जो आवश्यक हों वो लागू होंगी।

(7) गाय का मासिक किराया अनुबंध निष्पादित करना अनिवार्य है ?
हां, आवेदक सदस्य और केअर-एलाइंस के बीच रेंट एग्रीमेंट निष्पादित करना अनिवार्य है।

(8) गायों द्वारा दिए जाने वाले बछड़ों का क्या होगा ?
रेंट एग्रीमेंट अवधि के दौरान गायों द्वारा दिए जाने वाले सभी बच्चे , चाहे वह नर हो या मादा, संगठन की संपत्ति होंगे और सदस्य को अनुबंध की अवधि या अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें रखने का कोई अधिकार नहीं होगा। गाय से प्राप्त सभी बच्चों को गाय का मूल्यह्रास(डेप्रीसिएसन) माना जाएगा।

(9) मासिक किराया शुल्क के लिए गायों को लेने की कोई सीमा है ?
हाँ, आवेदित ग्रामसभा सदस्यों के अनुसार गायों के लिए आवास की योजना हैं, इसलिए सदस्य मासिक किराया शुल्क योजना में केवल एक गाय तक ले सकते हैं या दूसरी किसी सदस्य के नाम वापिसी पर, हालांकि यही न्यूनतम भी होना चाहिए, क्योंकि एक इकाई गाय + बछड़ा का एक सेट होगा।

(10) केअर-एलाइंस का ट्रैक रिकॉर्ड:-
केअर-एलाइंस का मुख्यअंश पंचायतों का तक़रीबन 60 वर्ष पुराना सरकारी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय फेडरेशन है जिसके एलाइंस में सामाजिक-आर्थिक-कृषि संकट और पर्यावरणीय उत्थान की समस्या को हल करने के लिए एक समुदाईक हाई-टेक डेयरी यूनिट की योजना तैयार की है जहां सभी प्रमुख कार्य आयातित मशीनों द्वारा किए जाएंगे। यह केयर- एलाइंस का एक मॉडल परियोजना है। जिसमें डेयरी फार्म कम से कम 5 एकड़ या जरूरत के अनुसार भूमि पर फैला होगा, जिसमें आरामदायक गाय शेड, मिल्क पार्लर, मेडिकल रूम, प्रोसेसिंग हॉल, गोदाम, लेबर रेस्ट रूम्स, बछड़ा शेड, 20 किलोवाट पावर प्लांट जो गाय के गोबर + कृषि-अपशिष्ट से उत्पादित गैस द्वारा चलेगा , वर्मी- कम्पोस्ट/ फ़र्टिलीजर इकाई। संगठन अपने आस-पास के क्षेत्र में अपने ग्राहकों को गाय का शुद्ध दूध उपलब्ध कराएगा। संगठन गाय के दूध को दही, घी, मावा, पनीर, लस्सी आदि के मूल्यवर्धन के रूप में संसाधित करेगा। इसके अलावा आप की पंचायत में लगभग -70 स्थानीय व्यक्तियों को डेयरी में रोजगार प्रदान किया जाएगा।

कार्यान्वयन भागीदार:
केअर- एलाइंस की “पेड़ लगाओ-गाय ले जाओ” परियोजना के तहत विभिन्न कार्यक्रम देश भर के राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में जानें-पहचाने गैर-सरकारी संगठनों और ग्रामपंचायतों के माध्यम से कार्यान्वित किए जाते हैं। ग्रामीण समुदाय को 'प्राकृतिक इको-सिस्टम का अनुभव' कराने से प्रकृतिक संसाधनों के संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता पैदा करने की अपार संभावनाएं हैं, जिससे विभिन्न स्तरों पर सकारात्मक पर्यावरणीय बदलाव किए जा सकते हैं।

पंचायतें भारतीय समाज के पिरामिड के आधार पर स्थित हैं और केयर-एलायन्स पर्यावरण व् कृषि क्षेत्र में पुनर्रचना के लिए ग्रामीण समुदाय के समक्ष एक परिवर्तन एजेंट के रूप में प्रस्तुत करता है क्यों की संस्था समाज के मूलाधार पर्यावरण तथा ग्रामीणों जीविका कृषि की पुनर्रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए संकल्पित है । इसलिए कार्यक्रम को तकनीकी निवेश और मजबूत सहायक तंत्र प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है ताकि अपेक्षित परिणाम प्राप्त किए जा सकें । केयर-एलायन्स की परियोजना प्रबंधन इकाई राज्य स्तर पर एक निदेशक के निर्देशन में काम करती है और राज्य में परियोजना की गतिविधियों को लागू करने के लिए एक तकनीकी और प्रशासनिक निकाय के रूप में कार्य कर रही है। हरित पंचायत कार्यक्रम की गुणवत्ता में लगातार सुधार के लिए पंचायतस्तर पर पंचायत संसाधन केंद्र (पीआरसी) की संकल्पना की गई है I

नियम और शर्तें लागू-

1. आवेदक की उम्र आवेदन के समय 18 वर्ष पूरी होनी चाहिए
2. गाय खरीदने के लिए आने-जाने व दूध निकल कर जाचने के लिए तीन दिन रहने का खर्च सदस्य का होगा
3. यूनिट में आने के बाद गाय के शुरुआती दूध की मात्रा की जिम्मेदारी संस्था नहीं होगी
4. स्कीम का सुचारू रूप से चलना गुणवत्तापूर्ण गायों की उचित मात्रा में उपलब्धता पर निर्भर होगा
5. गाय व पेड़ का पट्टा न केवल दूध व फलों और दवाओं आदि के उत्पादन से संबंधित है, बल्कि कृषि, पर्यावरण व आप की जरूरतों को पूरा करने में जरुरी है इसलिए आपसे पूर्ण सहयोग की उपेक्षा है इसमें किसी किस्म की कोताही आपको स्कीम से बहार कर सकती है I
6. किसी भी तरह की बद-चलनी पर आपको स्कीम से बाहर कर दिया जायगा
7. वृक्ष "पट्टा" पेड़ उगाने के लिए आपकी भूमि के अतिरिक्त किसी दूसरी निर्धारित भूमि का स्वामित्व नहीं देता है, यह केवल आपको व आजाद पशु-पक्षिओं को फलों की उपज पर अधिकार देता है।
8. केअर-एलाइंस संस्था केवल बड़ी संख्या में “पेड़ लगाओ-गाय ले जाओ” स्कीम में ग्राम सभा सदस्यों को पर्यावरण संरक्षण में भागीदारी के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए संकल्पित है।
9. वनों के कम होने और निवास स्थान की कमी के कारण, इन आजाद पशु-पक्षिओं ने भोजन के लिए मानव आवासों और फसलों पर छापा मारना शुरू कर दिया है इसलिए उनको जगह देने में आपका सहयोग उपेक्षित है
10. परियोजना से सम्बंधित किसी भी वाद-विवाद में केयर-अलायंस के अधिकारियों का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा।
11. पट्टे से सम्बंधित कागजात की पूर्ति आवेदक सदस्य को दिए गए समय में करनी होगी I

हरित कार्यक्रम में ग्रामसभा भूमिका

1. ग्रामसभा गांव के समग्र समस्याओं के लिए जिम्मेदार होगा। यह समुदाय की देखभाल प्रदाताओं की समस्याओं को ध्यान में रखेगा और इसे हल करने के लिए सुझाव देगा।
2. ग्रामसभा निगरानी में लोगों भागीदारी को सक्षम करने के लिए लोगों के अधिकारों के ज्ञान साथ-साथ- जिम्मेदारिओं पर ध्यान देने के कार्यक्रमों की अनिवार्यता के बारे में जन जागरूकता पैदा करेगा।
3. ग्रामसभा गांव की स्थिति और ग्राम समुदाय द्वारा पहचानी गई प्राथमिकताओं के आकलन के आधार पर एक हरित ग्राम योजना पर चर्चा और विकास करेगा।
4. यह ग्राम हरित रजिस्टर और हरित सूचना बोर्ड का रखरखाव करेगा जिसमें पर्यावरण से संबधित अनिवार्य सेवाओं के बारे में जानकारी होगी।
5. यह सुनिश्चित करेगी कि निश्चित दिनों में गांव का दौरा करे और कार्य योजना के अनुसार निर्धारित गतिविधि को पूरा करे।
6. ग्रामसभा अगले दो माह की योजना के साथ-साथ केयर-एलाइंस को द्विमासिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगी। प्रारूप एवं विषयवस्तु का निर्णय ग्राम वन समिति द्वारा किया जायेगा। ग्राम स्तरीय बैठक में संस्था द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर चर्चा कर उचित कार्यवाही करें।
7. गांवपंचायत परियोजना के बाद ग्रामसभा में होने वाले प्रत्येक बदलाव पर चर्चा करेगी, इसका विश्लेषण करेगी और पेड़ों के टूटने-सूखने को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई का सुझाव देगी ।
8. समिति गांव में परियोजना सबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और बैठक के कार्यवृत्त का दस्तावेजीकरण करने के लिए नियमित मासिक बैठक आयोजित करेगी। समिति यह सुनिश्चित करेगी कि प्राथमिक हरित जन-संवाद आयोजित किया जाए। समिति यह सुनिश्चित करेगी कि चर्चा किए गए सभी मुद्दों को दर्ज किया जाए और चर्चा किए गए मुद्दों पर कार्रवाई की जाए।
9. सभी सरकारी योजनाओं के बारे में समुदाय को सूचित करने के लिए ग्रामपंचायत जिम्मेदारी होगी।